एक थे काका (Kaka hatharsi Birth day)

काका हाथरसी जन्म-जयंती, (Kaka hatharsi Birth day)
हिंदी साहित्य के एक मज़बूत स्तंभ काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 को हाथरस में हुआ। हास्य रस की कविताओं का सृजन कर हमें हंसाने और सोचने पर विवश करने वाले काका हाथरसी ने 18 सितंबर 1995 को ही दुनिया को अलविदा कहा। तो आइए आज काका की जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर उनकी रचनाओं के ज़रिए उन्हें शब्दांजलि के ज़रिए याद करते हैं।
राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर
‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला
कहँ ‘काका‘ कवि, करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले – भागो, खत्म हो गया आटा ।
***********************************************
बिना टिकिट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर
जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
पकड़ें टी.टी., गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना।