October 2, 2023

Akbar’s coin: अकबर ने अपने शासनकाल में मुद्रा पर छपाई थी सियाराम की तस्वीर, जानें इसके पीछे की बड़ी वजह

अकबर का सिक्का रामसिया

अकबर का सिक्का रामसिया

Akbar’s coin: नई दिल्ली। कहा जाता है कि मुगलों के शासनकाल के दौरान हिंदूओं पर काफी अत्याचार हुआ करते थे। उस शासन मे जो भी सम्राज्य राज्य करता था वो ही अपने आप को भगवान समझता था। और हर हिंदू को अपने भगवान को छोड़कर उसकी पूजा करने को मजबूर भी होना पड़ता था। लेकिन उस शासन के दौरान एक सम्राज्य ऐसा भी आया था जो अपने अल्हा को मानने के साथ साथ भगवान राम के प्रति श्रृद्धा भी रखता था। वो शासक था सम्राट अकबर। जिसने अपने शासन काल के दौरान ‘राम टका’ जारी किया था। इस सिक्के के एक ओर हिंदुओं के आराध्य राम और सीता का रूप उत्कीर्ण है। सिक्के पर धनुष और बाण धारण किए राम और सीता को एक साथ रखा गया है। ऊपर की तरफ लिखा है- रामसिया
इस सिक्के की तस्वीर देखने के बाद आपको भी हैरानी होगी कि क्या ये बात सच है लेकिन इसकी सत्यता उस सिक्के में छपे अंक साबित कर रहे है इन सिक्कों में दर्ज शब्दों और अंकों से इतिहास का सुराग मिलता है। जिससे पता चलता है कि सिक्का कब का है। सिक्के पर लिखा है: “अमरद इलाही 50” यानी अकबर के शासन के 50 वर्ष।यह तारीख इस बात की गवाह है कि इस सिक्के की ढलाई सन् 1604-1605 में हुई थी। राम और सीता को चित्रित करने वाले सिक्के चांदी और सोने जैसी धातु से बने थे। तब इस तरह के सिक्के को ‘मुहर’ के नाम से जाना जाता था।

अकबर के सिक्के में रामसिया
अकबर के सिक्के में रामसिया

अकबर के समय के सिक्कों कार हुआ करती थी। जो बाद में वर्गाकार हो गई। 1585 ईस्वी से 1590 ईस्वी के दौरान गोल और चौकोर सिक्के एक साथ जारी किए गए। बाद में चौकोर सिक्के छोड़कर गोल सिक्के जारी किए गए। 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद हिंदू आराध्य के चित्र वाले सिक्के कहीं गुम होकर रह गए।


समावेशी साम्राज्य: अकबर

इस्लाम में भले ही मूर्ति पूजा निषिद्ध हो लेकिन मुगल शासक ने हिंदू देवी-देवताओं के सम्मान में सिक्के जारी धर्मनिरपेक्ष शासक होने का परिचय दिया था। यह उनके उस नए धार्मिक विचार का हिस्सा भी था, जिसे उन्होंने सभी धर्मों के मिश्रण से बनाया था।

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