Kuno National Park: विदेशी चीते पर भारी पड़ा इंडियन बकरा, 20 बार चकमा देकर निकल आया बाहर

Kuno National Park: जंगल के अंदर हमेशा जानवारों का सामना किसी बाघ,शेर या चीता से होता है। और उस समय तो उनका मरना पूरी तरह से तय हो जाता है। उनमें से कोई एक भाग्यशाली होता है जो चकमा देकर भाग निकलता है इन दिनों ऐसा ही एक बकरा है जिसने चीतों के झुंड के बीच रहने क बाद भी वो एक बार नही बल्कि 20 बार चकमा देकर भाग निकला है और इसके बाद पूरे जंगल में शान के साथ घूम रहा है।
सोचने का मजबूर कर देने वाला यह मामला कूनों में नेशनल पार्क kuno national park का है, जहां 70 साल बाद PM मोदी द्वारा उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर आठ चीतों को बसाया गया है। और इन आठ चीतों के बीच एक बकरा काफी भारी पड़ रहा है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, कूनो नेशनल पार्क में 70 साल बाद एक बार फिर से चीतों को बसाने की योजना बनाई गई है। ये चीते नामीबिया से मंगवाए गए है। लेकिन कूनो नेशनल पार्क के जिस बाड़े में इन चीतों को छोड़ा गया है, वहां पर 6 बाघ भी रहते है, और इन बाघों से चीतों को बड़ा खतरा है। ऐसे में इन चीतों को पकड़ने के लिए उस पार्क में एक बकरा छोड़ा गया, ताकि इस बकरे का शिकार करने के चक्कर में बाघ बाहर आजे और उन्हें पकड़ कर सुरक्षित जगह पर ले जाए। अब जब 6 तेंदुओं के बीच बकरे को छोड़ा गया तो यह प्लाट उल्टा ही पड़ गया। क्योंकि यह बकरा तेंदूओं पर ही भारी पड़ने लगा।
20 बार मौत को मात देकर आया बकरा
जब बकरे को चीतों के बाडे़ में छोड़ा गया तो उस दौरान तेंदुओं ने उस पर अटैक किया लेकिन बकरा 20 बार तेदुओं को चकमा देकर बाहर निकल गया। जबकि खास बात यह है कि सभी 6 तेंदुओं को नेशनल पार्क की टीम ने पकड़ लिया लेकिन बकरे इनकी पकड़ से बाहर होकर पूरे पार्क में मस्ती के साथ घूम रहा है।
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में इस बकरे को एक बार नहीं बल्कि 20 बार बांधा गया। हर बार वह बच गया। छह में से एक भी तेंदुएं ने उसे अपना शिकार नहीं बनाया। कूनो नेशनल पार्क के कर्मचारी अब इसे भाग्यशाली बकरा कहकर पुकार रहे हैं। वन विभाग के कर्मचारियों के अनुसार अब 12 वर्ग किमी का क्षेत्र पूरी तरह से तेंदुआ मुक्त कर दिया गया है। इस वजह से यह बकरा अब चीतों का आहार बन सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बकरा
जब यह खबर बाहर आ तो लोग इस बकरे को देखने के लिए उमड़ पड़े। सोशल मीडिया पर भी इस बकरे की तस्वीर अब खूब वायरल हो रही है। साथ ही इसकी किस्मत की भी चर्चा हो रही है। इस बकरे की किस्मत पर एक बार फिर जाको राखे साइयां मार सके न कोय वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।