October 1, 2023

Karwa Chauth 2022 : कब है करवाचौथ का व्रत, 13 या 14 अक्टबर ?, जानिये सही तारीख

Karwa chauth 2022

Karwa chauth 2022

Karwa Chauth 2022: इस साल करवाचौथ व्रत को लेकर काफी कन्फ्यूजन है कि आखिर किस दिन महिलाएं रखेंगी करवाचौथ का व्रत। करवाचौध का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।

Karwa Chauth 2022

पुराणों में करवा चौथ के व्रत का विशेष महत्व है। क्यों कि इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपावास करती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं। दिन में सामूहिक रूप से करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। और रात को चांद और चलनी में पति का चेहरा देखने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है। इस बार लोगों में करवा चौथ की तिथि को लेकर बड़ी कन्फ्यूजन है।

Karwa Chauth 2022

हिंदू पंचांग में कब है करवा चौथ  

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी 13 अक्टूबर को रात 1 बजकर 59 मिनट पर प्रारंभ होगी और 14 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। उदिया तिथि के कारण करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जाएगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2022

करवा चौथ की पूजा के लिए इस साल कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन अमृत काल में शाम 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 50 मिनट तक पूजा का उत्तम मुहूर्त रहेगा। इसके अलावा सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक लग रहे अभिजीत मुहूर्त में भी की जा सकती है। इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 09 मिनट बताया जा रहा है।

कैसे करें करवा चौथ की पूजा

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करवा चौथ के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्‍प लें। पहले हाथ में गंगाजल लेकर भगवान का ध्यान करें। फिर जल को किसी गमले में डाल दें। इसमें पूरे दिन पानी पीये बिना उपवास रखा जाता है। इस दिन पीली मिट्टी से माता गौरी की मूर्ति बनाएं। उन्हें लाल सुहाग सामग्री के साथ रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य  अर्पित करें। माता को आठ पूरियों की अठावरी और हलवे का भोग लगाएं।

इसके बाद दोपहर के समय करवा चौथ के व्रत की कथा सुनें। रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्‍य दें और पति की लंबी उम्र की कामना करें। इसके बाद एक छलनी लेकर चंद्र दर्शन करें और उसी छलनी से पति को देखें. आखिर में पति के हाथों से जल ग्रहण करें और व्रत खोलें। इसके बाद घर में मौजूद किसी बुजुर्ग  महिला का आशीर्वाद लें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।

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