करवाचौथ Karwa chauth के बारे में जान लें क्या हैं जरूरी बातें, वरना कहीं पछताना ना पड़े

Karwa Chauth Fast Rule
karwa chauth: करवाचौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है । यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं । यह व्रत सवेरे सूर्योदय से पहले लगभग दस बजे से आरंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के उपरांत संपूर्ण होता है । पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है । करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है । वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं । तो आइये आपको बताते हैं करवाचौथ से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में |

क्यों रखती है महिलाएं करवाचौथ का व्रत
हिन्दू धर्म में स्त्री को हमेशा से ही शक्ति का रूप माना जाता है इसलिए स्त्री को यह वरदान मिला है कि वो जिस चीज के लिए भी तप करेगी उसे उसका फल अवश्य मिलेगा | हमारी पौराणिक कथाओं में सावित्री अपने पति को यमराज से भी वापिस ले आती है, यानि स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे तो कुछ भी हांसिल कर सकती है | इसलिए महिलाएं करवाचौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लम्बी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं | तप का मतलब होता है कि किसी भी चीज को त्यागना और किसी एक दिशा में आगे बढ़ना | पहले के ज़माने में ऋषि मुनि इसलिए ही तप किया करते थे और सिद्धियां प्राप्त करते थे | महिलाएं करवाचौथ के दिन निर्जल व्रत करती हैं | चौथ का चाँद हमेशा देर से निकलता है, ये एक तरह से महिलाओं की परीक्षा होती है कि वो अपने पति के लिए कितना त्याग कर सकती हैं | कई बार तो देर रात तक चाँद नही दिखता, ये मौसम ही ऐसा होता है कि कई बार बादल घिर जाते हैं और चाँद नजर नहीं आता | ऐसे में महिलाएं देर रात या अगले दिन तक अपना व्रत नहीं तोड़ती हैं |

करवाचौथ का व्रत कैसे करें शुरू
तो आइये आपको बताते हैं कि इस व्रत की शुरुआत कैसे करें | सुबह सूरज उगने से पहले सास अपनी बहु को सर्गी देती है, जिसमे बहु के लिए कपड़े और उसके सुहाग की चीजें जैसे चूड़ी, सिन्दूर, बिंदी आदि के साथ साथ ही फिनियाँ, फ्रूट, ड्राई फ्रूट और नारियल भी रखा जाता है | सास द्वारा दी गई सर्गी से बहु अपने व्रत की शुरुआत करती है | अगर सास साथ में नहीं है तो वो बहु को पैसे भिजवा सकती है, ताकि वह अपने लिए सारा सामान खरीद सके | सुबह सूरज निकलने से पहले सास की दी हुई फिनियाँ बनाकर पहले अपने पितरों, गाय, कुत्ते और कुए का हिस्सा अलग रख ले | फिर अपने पति और अपने परिवार के लोगों के लिए भी अलग निकल दे | उसके बाद फिनियाँ और सास के दिए हुए फ्रूट, ड्राई फ्रूट और नारियल खाकर ही व्रत की शुरुआत करे फिर सास के दिए हुए कपड़े और श्रृंगार की चीजें पहने |