यूजर्स के घट रहे फॉलोअर्स, Facebook को अब तक इतने करोड़ फॉलोअर्स ने छोड़ा

Facebook Followers suddenly decreased
Facebook इंटरनेट पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रहते हैं । लेकिन अभी कुछ दिनों से दुनिया भर में लोकप्रिय सोशल मीडिया साइट Facebook के कई यूजर्स अपने फॉलोअर्स के बड़ी संख्या में घटने की लगातार शिकायतें करते दिख रहे हैं । अभी तक इसके पीछे के कारण का पता नहीं चल पाया है । फेसबुक से अभी तक 11.9 करोड़ से अधिक फॉलोअर्स घट गए हैं । आई जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि उनके फॉलोअर्स की संख्या 10,000 से भी कम हो गई है ।

Facebook पर लगातार हो रहे फॉलोअर्स कम
Facebook पर फॉलोअर्स कम होने के चलते बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट कर कहा कि फेसबुक पर सुनामी आ गई है जिससे मेरे लगभग नौ लाख फॉलोअर्स चले गए हैं और अब लगभग 9,000 फॉलोअर्स ही बचे हैं और उन्होंने कहा है कि मुझे फेसबुक की यह कॉमेडी पसंद आ रही है | इस पर मेटा के प्रवक्ता ने कहा है कि कुछ लोगों के फेसबुक प्रोफाइल पर फॉलोअर्स की संख्या में बदलाव होने की स्थिति को जितना जल्द हो सके सामान्य करने की कोशिश की जा रही है और हम इस असुविधा के लिए क्षमा चाहते हैं । इसके अलावा आपको बतादें कि Zuckerberg को कंपनी की रीब्रांडिंग और मेटावर्स पर फोकस बढ़ाने से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है । जिसके चलते इस वर्ष उनकी वेल्थ लगभग आधी रह गई है ।

Zuckerberg की नेटवर्थ आठ वर्षों में सबसे कम की गई दर्ज
Zuckerberg की नेटवर्थ ग्लोबल बिलिनेयर्स में 20वें स्थान पर है, जोकि पिछले आठ वर्षों में सबसे कम दर्ज की गई । Bloomberg Billionaires Index के अनुसार, Zuckerberg की वेल्थ में लगभग 71 अरब डॉलर की कमी के चलते उनकी कुल वेल्थ अब लगभग 56 अरब डॉलर ही रह गई है । दो वर्ष पहले तक वह ग्लोबल बिलिनेयर्स में Jeff Bezos और Bill Gates के बाद तीसरे स्थान पर थे । पिछले वर्ष सितंबर में उनकी कंपनी के शेयर का प्राइस 382 डॉलर पर पहुंचने के साथ Zuckerberg की वेल्थ बढ़कर लगभग 142 अरब डॉलर पर जा चुकी थी । इकोनॉमिक स्लोडाउन से भी Facebook पर असर पड़ने से अब जकरबर्ग के लिए मुश्किलों बढ़ती दिख रही हैं | मेटावर्स में कंपनी के भारी इनवेस्टमेंट से इसके शेयर में कमजोरी आ रही है । एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर अगले कुछ वर्षों में बड़ा खर्च होगा। इसके अलावा रेगुलेटर्स की स्क्रूटनी और कुछ कानूनी मामलों का भी कंपनी को सामना करना पड़ सकता है |