Hydrogen Engine: अब हवाई जहाज में इस्तेमाल होगा हाइड्रोजन इंजन, Rolls-Royce की अद्भुत पहल

Rolls-Royce made Hydrogen Engine
Hydrogen Engine: अभी तक हम सुनते आ रहे हैं कि हवाई जहाज में अब तक पारंपरिक ईंधन से चलने वाले इंजन ही यूज हुआ करते हैं | लेकिन अभी हाल ही में रोल्स रॉयस (Rolls-Royce) ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे सुनकर आप भी चकित हो जायेंगे | जी हाँ, दरअसल रोल्स रॉयस कंपनी ने एक ऐसे इंजन का निर्माण किया जो हाइड्रोजन से चलने में सक्षम है | अब इस इंजन के डेवेलोप होने से अब तक हवाई जहाजों में इस्तेमाल होते आ रहे पारंपरिक ईंधन से अब छुटकारा मिल सकने की उम्मीद है | जिससे अब एविएशन इंडस्ट्री के गैस फ्यूल पर शिफ्ट होने की भी उम्मीद है | इससे धरती के वातावरण में से कार्बन की मात्रा को कम करने काफी बड़ी मात्रा में अब सहयोग होगा | कंपनी ने इसके लिए अब ग्राउंड टेस्ट भी शुरू कर दिये हैं | आइये जानते हैं क्या है इसमें ख़ास बातें |

बना डाला हाइड्रोजन इंजन
रोल्स रॉयस कंपनी ने हाल ही में हाइड्रोजन इंजन को डेवेलोप कर लिया है इसके लिए कंपनी ने एक क्षेत्रीय एयरक्राफ्ट के इंजन को हाइड्रोजन इंजन में तब्दील करके इसका परिक्षण किया | इसके तहत अब कंपनी ने एयरक्राफ्ट AE 2100 के इंजन को ग्रीन हाइड्रोजन (यानि कि ऐसी गैस जिसे हवा, ज्वारभाटीय शक्ति से तैयार किया गया है) से चलाने में महारथ हांसिल कर ली है | अभी बीते सोमवार ब्रिटिश कंपनी ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि अपने प्रोजेक्ट पार्टनर ईजी जेट के साथ मिलकर कंपनी ने इस ख़ास इंजन को बनाया है | दोनों कंपनियों का मुख्य मकसद है कि सिविल एविएशन के लिए हाइड्रोजन एक सेफ फ्यूल होता है | कंपनी ने बताया कि वैसे अभी ये टेस्ट इसके शुरुआती दौर में ही है | इसके लिए दोनों कंपनियां लम्बे टेस्ट की तैयारी भी कर चुकी हैं |
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एविएशन इंडस्ट्री में होगा बड़ा बदलाव
कंपनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कंपनी अब लम्बी फ्लाइट के लिए इसके प्रयोग के लिए इसके सेकंड टेस्ट की तैयारी भी कर रही है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि हाइड्रोजन ही एक ऐसा विकल्प हो सकता है जो 2050 तक एविएशन इंडस्ट्री को इसका कार्बन एमिशन जीरो लेवल तक ला सके | इस ख़ास मुहीम में प्लेन बनाने वाली कंपनी एयरबस भी फ्रांस की इंजन मेकर कंपनी सीएफएम इंटरनेशनल के साथ भी इसे पर काम कर रही है जिससे हाइड्रोजन प्रोपल्शन तकनीक पर इसका सही टेस्ट हो पाये | हालांकि, इसके साथ ही इसमें एक बड़ी दिक्कत यह हो सकती है कि अगर एविएशन इंडस्ट्री हाइड्रोजन पर शिफ्ट होती है तो एयरपोर्ट्स के इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से बदलने की जरुरत पड़ सकती है |